मंत्रालय ने यह भी कहा कि काले धन के मुद्दे पर उसे कुछ सूचनाएं मिली हैं। लेकिन मंत्रालय ने यह कहते हुए इन्हें सार्वजनिक करने से मना कर दिया कि इससे जांच प्रक्रिया में बाधा आएगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई चल रही है।
सूचना का अधिकार के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों द्वारा कितना काला धन जमा किया गया है, इस बारे में कोई प्रामाणिक आंकड़े नहीं है। स्विस बैंकों के, अपने वैध खाते और विशिष्ट नियम हैं।
मंत्रालय ने जवाब में कहा कि इस मुद्दे पर समुचित कार्रवाई की जा रही है और कुछ सूचनाएं भी मिली हैं। बहरहाल, इस स्थिति में सूचना का खुलासा करने से मामले की जांच प्रक्रिया बाधित होगी। जो सूचना मांगी गई है उसे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा आठ (एक) (एच) के प्रावधानों के तहत खुलासे से छूट मिली हुई है।
आवेदक ने वित्त मंत्रालय से उन व्यक्तियों और कंपनियों के नाम पूछे थे, जिन्होंने स्विस बैंकों में काला धन जमा किया है। साथ ही आवेदक ने इसकी जांच के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी भी मांगी थी।
आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि यह बताया जाता है कि भारत और स्विटजरलैंड के बीच वर्तमान दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) के तहत समय समय पर, स्विस परिसंघ में भारतीयों के बैंक खातों का ब्यौरा मांगने के प्रयास किए जाते रहे हैं।
जवाब में कहा गया है कि बहरहाल, स्विस संघीय कर प्रशासन ने भारतीय नागरिकों के बैंक खातों के बारे में सूचनाएं देने में अपनी असमर्थता जाहिर की है क्योंकि सूचना भारत और स्विस परिसंघ के बीच डीटीएए के आवेदन के लिए जरूरी नहीं है। इसकी जरूरत केवल भारत के घरेलू कानूनों को लागू करने के लिए होती है।
इसमें कहा गया है कि स्विस अधिकारियों ने यह भी जवाब दिया है कि ऐसी सूचना का, कर प्रशासन की सामान्य स्थिति में स्विस कानूनो के तहत वह निपटारा नहीं करते। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को काला धन संबंधी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार पर इस मामले से कारगर तरीके से न निपटने तथा अपना ध्यान केवल हसन अली पर ही केंद्रित करने के लिए फटकार लगाई है।
पुणे स्थित घोड़ों के एक फार्महाउस के मालिक हसन अली पर धन शोधन और कर चोरी करने के आरोप हैं। प्रख्यात अधिवक्ता राम जेठमलानी और अन्य द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सवाल किया था क्या काले धन के मुद्दे पर सरकार इतने साल तक सोती रही। याचिका में भारतीयों द्वारा विदेशी बैंकों मे जमा किया गया काला धन वापस लाने के लिए सरकार को आदेश देने की मांग की गई है। अनुमान है कि विदेशी बैंकों में भारतीयों का जमा काला धन करीब दस खरब डॉलर है।